REALITY OF LIFE ONE 1
DUNIYA MEI YE ALAG-ALAG
MANZAR KYU HAI
ZAKHM TO KAHI KHANJAR KYU HAI,
RISHTON MEI AATE ITNE
BAVANDAR KYU HAI
JAB REHTA HAI TU HAR ZARRE MEI
FIR KAHI BANE MANDIR
KAHI BANE MASJID KYU HAI,
DUNIYA KA HAR EK BANDA TERA HAI
KOI DOST TO KOI DUSHMAN KYU HAI
SAB KATHPUTLI HAI TERE HAANTHO KI
KYUKI TUNE HI LIKHA HAI
HAR KISI KA MUKKADAR
TO KOI BADNASEEB
TO KOI SIKANDDAR KYU HAI.
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रियलिटी ऑफ़ लाइफ वन १
दुनिया में ये अलग-अलग
मंज़र क्यों है
ज़ख्म तो कही खंजर क्यों है
रिश्तों में आते इतने बवण्डर क्यों है
जब रहता है तू हर ज़र्रे में
फिर कही बने मंदिर
कही बने मस्जिद क्यों है
दुनिया का हर एक बन्दा तेरा है
कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है
सब कठपुतली है तेरे हांथो की
क्यूंकि तूने ही लिखा है
हर किसी का मुक्कदर
तो कोई बदनसीब
तो कोई सिकंदर क्यों है।
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